केन्द्र में कांग्रेस, यूपी में पिछली सरकार सपा, मौजूदा बसपा और कर्ण नगरी में लगातार 12 साल से भाजपा का एम.एल.ए. जो अब लोकसभा में आने की तैयारी में था के होते हुए भी कर्ण नगरी की दुर्दशा पर बहुत रंज होता है, जहांगीर के समय से ऐतिहासिक महत्व की इमारतों का ध्यान नहीं रखा जा रहा है, हैरत तो इस इलक्शन में हो रही है जिसके वोटिंग ही दो दिन बाद होनी हैं कि इस बार नेताओं ने इसके लिए कुछ करने का वादा तक नहीं किया,
महाबलि कर्ण और जहांगीर बादशाह के से अपने रिश्तों पर कैराना ही नहीं पूरे देश को फखर होना चाहिए था लेकिन आज यह बातें ही इसे रूसवा कर रही हैं,
आज कोई उस बाग और तालाब की दुर्दशा को आसानी से आकर नहीं देख सकता क्यूंकि इसका जो आसान रास्ता था हाईवे से एक कच्चा रास्ता तालाब तक जाता था, वह जहांगीर के समय के बाद अब पक्का हो रहा था, लेकिन उस रास्ते के दोनों तरफ एक कब्रिस्तान आ रहा था उनलोगों ने अपनी जमीन बताकर दीवारें खडी कर लीं, अब कितनी ही कब्रें भी दिखाई दे रही हैं जबतक इस बारें में कोई कार्यवाही होगी कब्रों की नकली और असली संख्या बढने से समस्या का समाधान निकलना मुशकिल है,
महाबलि कर्ण का इस शहर से संबंध में विस्तार से ''कैराना कर्ण की राजधानी थी'' नामक पोस्ट में दी गया है, चंद लाइन यूं हैं
कैराना में महाबली कर्ण, नकुड़ में नकुल, तथा थानाभवन में भीम आदि के शिविर थे इसी प्रकार क अक्षर से नाम प्रारम्भ होने वाले कस्बों में करनाल, कैराना, कुरूक्षेत्र, कांधला आदि में कुरूवंश के युवराज दुर्योधन ने अंगदेश बनाकर कर्ण को सौंपा था
जहांगीर बादशाह ने इस तालाब और बाग़ को देखकर आश्चर्यचकित होकर कहा थाः
बाग में ऐसे फल लगे पेड भी हैं जो कि गर्मी में या सर्दी में मिलते हैं, बाग में मौजूद हैं। मेवादार दरखत जो कि ईरान और ईराक में होते हैं यहाँ तक कि पिस्ता के पौधे भी सरसब्जी की शक्ल में और खुश कद और खुश बदन सर्व ,सनूबर के पेड इस किस्म के देखे कि अब तक कहीं भी ऐसे खूबी और लताफत वाले सरू नहीं देखे गये।
इस जिले DISTRICT MUZAFFARNAGAR की सरकारी वेबसाइट www.muzaffarnagar.nic.in के HISTROICAL MONUMENTS OF MUGHAL PERIOD सेक्शन में केवल जानसठ के इमारतें देती है, जिस इमारत का जिकर स्वयं मुगल बादशाह जहांगीर ने किया, उसे भी इस सेक्शन में स्थान नहीं दिया गया,
इस संबंध में आवाज़ उठाने में मैं आप की सहायता चाहता हूं, यह बात ब्लागों के द्वारा या आपके व्यक्तिगत प्रयत्नों से टी.वी., समाचार पत्र, पुरातत्व विभाग आदि तक पहुंचा सकें तो कर्ण नगरी आपकी एहसानमंद रहेगी,
settelite link nawab talab kairana
सच के लिए में और क्या कहूं, 2 मई 2009 की खींचे चित्र आप बोलेंगे-
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यह लेख यहां छपने पर मित्रों की सहायता से कितने ही समाचार पत्रों (दैनिक अमन के सिपाही, दैनिक नवचेतन सत्याभास, दैनिक अवामे हिन्द, उर्दू समाचार पत्र सहाफत, हमारा समाज, और जदीद खबर) के द्वारा हम यह बात दूर तक पहुंचा सके इसके लिए हम उन सभी मित्रों और समाचार पत्रों के आभारी हैं
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राष्ट्रीय दैनिक 'गंगापुत्रा टाइम्स'
उलमाओं का फतवा चाँद तारा मुसलमानों का निशान नहीं है
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आज हमारी मस्जिदों और घरों में चाँद तारे का ये निशान आम है। आज के मुस्लिम इस
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9 years ago